चाय बनाने में कैसे हो रही है रोज़ अरबों लीटर पानी की बर्बादी?

चाय बनाने में कैसे हो रही है रोज़ अरबों लीटर पानी की बर्बादी?

 

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम बहुत से ऐसे काम करते हैं, जिनकी वजह से अनजाने ही धरती के अनमोल ख़ज़ाने को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसा ही अनमोल ख़ज़ाना है पानी। हम जानते हैं कि पूरी दुनिया में पीने के पानी की बड़ी किल्लत होती जा रही है। कहा तो यहां तक जाने लगा है कि अगर अगला विश्व युद्ध हुआ, तो वो पानी के लिए हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि दिन भर में जिस चाय के तीन-चार प्याले हम लोग पीते हैं, उसकी वजह से ही रोज़ अरबों लीटर पीने का पानी बर्बाद हो जाता है। नहीं जानते, तो टॉस का की ये रिपोर्ट पढ़िए और फिर सोचिए-

 

जैसा कि आप जानते है कि पानी नहीं हो, तो जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन ब्रिटेन में किया गया शोध बताता है कि चाय बनाने के दौरान हम रोज़ अरबों लीटर पानी हवा में उड़ा देते हैं।

ब्रिटेन में चाय बनाने पर पानी खपत

  • ब्रिटेन में चाय पीने वालों की संख्या 4.97 करोड़ आंकी गई है।
  • एक अंग्रेज़ दिन भर में औसतन चार कप चाय पीता है।
  • ब्रिटेन में 19.91 करोड़ कप चाय रोज़ पी जाती है।
  • इतनी चाय के लिए रोज़ 40.01 करोड़ कप पानी उबाला जाता है

 

  • चाय बनाते वक़्त रोज़ 6.96 करोड़ लीटर पानी भाप बन कर उड़ जाता है
  • अध्ययन से साफ़ हुआ है कि ब्रिटेन में चाय बनाने के लिए ज़रूरत से क़रीब-क़रीब दोगुना पानी उबालने के लिए रखा जाता है।
  • चाय बनाने के दौरान ब्रिटेन में रोज़ 28 ओलंपिक स्विमिंग पूल में भरने लायक पानी भाप बन जाता है।
  • कड़क चाय की चाहत में लोग पानी को ज्यादा उबालते हैं
  • इससे पानी की बर्बादी तो होती ही है साथ ही रसोई गैस और बिजली की बर्बादी भी बड़े पैमाने पर होती है।

इस समस्या की क्या है समाधान

  • चाय केतली में बनाई जाए तो बेहतर होगा।
  • जितने कप चाय बनानी है, उतने कप नाप कर पानी डालें।

ये तो थी ब्रिटेन में चाय की चुस्कियों की बात। अंग्रेज़ जहां गए, चाय वहां गई। आपको मालूम होगा कि अब तो चाय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पिए जाने वाले पेय में शामिल है। ज़रा सोचिए कि कड़क चाय की चाहत में हम क़ुदरत के अनमोल ख़ज़ाने पानी के साथ कितनी नाइंसाफ़ी कर रहे हैं। इसी तरह अगर हम नल ठीक से बंद करें, तो बूंद-बूंद टपकने वाला करोड़ों लीटर पानी रोज़ बचा सकते हैं। ज़रा सोचें, तो समझ में आता है कि ये कहावत बहुत सोच-समझ कर बनाई गई है कि ‘बिंदु-बिंदु से सिंधु बना है’।

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