पक्षपात करना तो प्राणी की प्रकृति है चाहे वो इंसान हो या जानवर, हर प्राणी अपने स्तर पर पक्षपात करता ही है। लेकिन मनुष्य को विवेक पूर्ण प्राणी समझा जाता है तो पक्षपातकी अपेक्षा अन्य प्राणी से थोड़ी कम होती है। लेकिन हैरत में डालने वाली बात तब होती है जब दुनिया का सबसे बड़ा संगठन संयुक्त राष्ट्र पर दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति यानि अमरीका द्वारा पक्षपात करने का आरोप लगाया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समय समय पर संयुक्त राष्ट्र संघ पर पक्षपात करने का आरोप लगाते रहे हैं लेकिन ये आरोपों का शिलशिला कोरोना महामारी के दौरान अधिक बढ़ जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया गया है।
साल २०२० के अक्टूबर महीने के आखिरी दिनों में संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के मुद्दों के लिए तैनात अमेरिकी डिप्लोमैट केली क्यूरी ने आरोप लगाया की चीन के सिन्सियांग प्रान्त में मुस्लिम अल्पसंख्यक महिलाओं पर हो रहे अत्याचर के मामले संयुक्त राष्ट्र कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है यानि चीन के खिलाफ कोई करवाई नहीं की जा रही है। इससे पहले भी अमेरिका चीन में मुस्लिम अल्पसंख्यक पर हो रहे अत्याचारों का मामला कई अन्तराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुका है।
केली क्यूरी ने कहा ,”यह आश्चर्य जनक है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उल्लंघन के इन गंभीर आरोपों के प्रति चिंतित नहीं है और इसकी जाँच करने की इच्छा भी नहीं है।” अमेरिका द्वारा लगाये गए इन सारे आरोपों को चीन सिरे से खारिज करता है।
संयुक्त राष्ट्र की नस्ली भेदभाव उन्मूलन समिति के मुताबिक चीनी सरकार करीब १० लाख से ज्यादा उइघिर मुस्लिमों को हिरासत में ले रखी है। लेकिन चीन इस आरोप भी नकार देता है। जवाब में बोलता है कि वो ये सब अपने कानून के मुताबिक ही कर रहा है, दूसरे देशों को चीन के आंतरिक मामलों से दूर रहना चाहिए।
चीन पर आरोप लगाते हुए अमेरिका विश्व स्वास्थ संगठन छोड़ चुका है, जबकि अमेरिका WHO को हर वर्ष ४५ करोड़ डॉलर देता था। चीन सिर्फ ४ करोड़ ही देता है लेकिन चीन के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि WHO के इतिहास में पहली बार किसी गैर डॉक्टर को संगठन का मुखिया बनाया गया, ये चीन की मदद से ही सम्भव हो पाया। डॉक्टर टेड्रोस पर आरोप है कि वो चीन के वुहान शहर से निकली बीमारी कोरोना को दुनिया की नज़रों से बहुत दिनों तक छुपा कर रखे , जिसके कारण दुनिया भर के लोगों की जान जोखिम में पड़ गयी। इससे पहले भी डॉक्टर टेड्रोस इथोपिया के स्वास्थ मंत्री थे तब हैजे की बीमारी की बात पूरी दुनिया से छिपाने का आरोप लग चुका है। चीन और डॉक्टर टेड्रोस की मित्रता सर्व विदित है , जब वे इथोपिया के विदेश मंत्री थे तब चीन ने वहाँ बहुत अधिक व्यापार में निवेश किया था।
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