सब जानते हैं कि राकेश टिकैत के आंसू किसान आंदोलन के मुरझा चुके चेहरे को संजीवनी पिला गए।
26 जनवरी, 2021 को देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों ने पुलिस वालों पर जमकर हमले बोले। ये तस्वीरें हमारे और आपके साथ-साथ पूरी दुनिया ने देखी, लेकि क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पर आदोलन कर रहे किसानों के नेता राकेश टिकैत भी कभी दिल्ली पुलिस के जवान हुआ करते थे.
जी हां,
4 जून, 1969 को यूपी के सिसौली में पैदा हुए राकेश टिकैत मेरठ विश्वविद्यालय से एम ए की डिग्री लेने के बाद दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए
उन्होंने कॉन्स्टेबल के रूप में नौकरी शुरू की लेकिन जब 1993-94 में उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने दिल्ली के लाल किले में किसान आंदोलन का नेतृत्व किया, तो राकेश टिकैत को भी किसानों की राजनीति में ही अपना भविष्य नज़र आने लगा और उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ कर आंदोलन की राह पकड़ ली।
-राकेश टिकैत पिता महेंद्र सिंह टिकैत के चार बेटों में से दूसरे नंबर के हैं
-किसानों के मुद्दे पर राकेश 40 से ज़्यादा बार जेल जा चुके हैं
-उनके बड़े भाई भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं और वे संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
-राकेश टिकैत ने 2007 में खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और हार गए थे
-2014 में वे अमरोहा से लोकसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन किस्मत को उनका सांसद बनना भी मंज़ूर नहीं था
उन्हें नौ हज़ार के आसपास ही वोट मिले।
-राकेश टिकैत अब गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के मसीहा बने हुए हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में उपद्रव के बाद लगने लगा था कि किसान आंदोलन के तंबू उखड़ने वाले हैं, लेकिन मीडिया के सामने निकले उनके आंसू रंग लाए और किसान आंदोलन ने फिर जड़ें पकड़ ली।
Leave a Reply