हर साल संसद के तीन सत्र होते हैं- बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र। संविधान के अनुच्छेद 120 के तहत संसदीय कामकाज की दो भाषाएं हैं- हिंदी और अंग्रेज़ी, लेकिन अगर कोई सांसद अपनी मातृ भाषा में ही कुछ कहना चाहते हैं, तो सभापति इसकी अनुमति दे देते हैं। अगर सभापति या किसी दूसरे सांसद को वो भाषा समझ में नहीं आती, तो उसके हिंदी और अंग्रेज़ी में तत्काल अनुवाद यानी इंटरप्रेटेशन की व्यवस्था संसद में होती है। सारी संसदीय कार्यवाही का प्रकाशन भी होता है, लेकिन वो केवल हिंदी और अंग्रेज़ी में ही होता है। क्या आप सोच सकते हैं कि संसदीय कार्यवाही के प्रकाशन के लिए हर साल कितने वृक्षों की बलि चढ़ा दी जाती है?
Leave a Reply