पकिस्तान समर्थक चीन में कैसे होते हैं मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार ?

चीन पर मानवाधिकार हनन आरोप लगना बहुत सामान्य है। अमेरिका द्वारा चीन पर उइघिर मुस्लिमों पर अत्याचार करने का आरोप कई जगह उठाया गया है।  उइघिर पर हो रहे अत्याचारों का विरोध कई देशों द्वारा किया जाता है लेकिन इससे चीन पर कोई असर नहीं पड़ता है। चीन के  शिन्शियांग प्रान्त में रह रहे उइघिर मुस्लिम पुरुषों को कैद में रखा जाता है वहाँ पर उनके साथ अत्याचार चीन की पुलिस द्वारा अत्याचार किया जाता है।  वहीं उइघिर महिलाओं को भी नहीं बक्शा जाता है, चीन के नियम के मुताबिक उइघिर महिलाओं को पहला बच्चा होने के बाद  ३-४ साल के अंतराल के बाद ही दूसरा बच्चा हो सकता है।  अगर ३-४ साल से पहले महिलाऐं गर्भ धारण करती हैं तो चीन के प्रशाशन द्वारा जबरदस्ती गर्भपात करवा दिया जाता है। महिला विरोध करती है तो उन्हें प्रताड़ना दी जाती है।

वहीं चीन की सरकार उइघिर पुरुषों को जेल में डाल देती है और उइघिर महिलाओं के पास चीनी मूल के पुरुषों को उनके घर पर भेजा जाता है।  एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की सरकार १ लाख सरकारी कर्मचारी को इस काम के लिए रखी है , जिन्हें उइघिर महिलाओं के घर भेजा जाता और उनके साथ सम्बन्ध बनाना होता है।  अगर महिलाएं विरोध करती है तो महिला को यातना दी जाती है। चीन के शिंशियांग प्रान्त में ये काम चीन की सरकार द्वारा २०१६ में शुरू किया गया जिसका नाम दिया गया है ‘जोड़ी बनाओ, परिवार बनो’।  .

जो चीनी कर्मचारी अकेली रह रही मुस्लिम महिलाओं के घर जाता है उसको रिलेटिव बोला जाता है, उसे कई मुस्लिम महिलाओं का घर दिया जाता है।  प्रत्येक महिला के घर ६ दिनों तक रुकना होता है। घर छोड़ते वक़्त रिलेटिव रिपोर्ट बनाता है और उस परिवार के साथ फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर करता है। वहीं रिलेटिव को अपने साथ पोर्क और शराब लेकर आना होता है। रिलेटिव की मंशा इस बात समझ सकते है कि पोर्क और शराब का मुस्लिम समुदाय में क्या स्थान है।  मुस्लिम महिलाओं को पोर्क खिलाया जाता है और शराब पिलाई जाती है।

वहीं चीन में मस्जिदों पर इस्लाम का झंडा नहीं लगाने दिया जाता है, मस्जिदों पर चीनी झंडा लगाया जाता है।  उइघिर भाषा बोलने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है , चीन के इन कारनामों का विरोध दुनिया भर के मुस्लिम देशों द्वारा किया जाता है लेकिन इससे चीन पर कोई असर पड़ते नहीं दिखता है।

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