क्या आप जानते हैं, कांग्रेस ने चीन को LAC में कैसे और क्यों आने दिया ?

 

एक सभा में राहुल गाँधी ने चीन द्वारा भारत में घुसपैठ पर टिपण्णी करते हुए बोले कि अगर देश में कांग्रेस की सरकार होती तो चीन की सेना को १५ मिनट के अंदर खदेड़ देती।  वहीं २०१३ में ए.के अंटोनी द्वारा भारत और चीन की शक्ति की तुलना करते हुए दिया गया बयान नहीं भूलना चाहिए, उन्होंने कहा था ,’मुझे हकीकत स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि एलएसी के पास बुनियादी ढांचें के निर्माण के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है। इतिहास है कि आज़ाद भारत में बहुत वर्षों तक निति रही कि सीमा का विकास नहीं करना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।  विकसित सीमा के मुकाबले अविकसित सीमा ज्यादा सुरक्षित रहेगी, लिहाज़ा बहुत वर्षों तक सीमा के आसपास न सड़कें बनीं, न एयर फील्ड बने। लेकिन चीन निर्माण करता रहा। नतीजा यह रहा कि वे हमसे काफी आगे निकल गए। मैं इसे स्वीकार करता हूँ। ”

राहुल गाँधी का बयान उनकी राजनितिक और बौद्धिक समझ को दर्शाता है। वहीं आपको ये बताना जरूरी हो जाता है कि अगर १९६२ के दौरान भारत और चीन बीच हुई लड़ाई के समय भी देश में कांग्रेस की ही सरकार थी, लेकिन उस वक़्त हमारे देश को हार का मुँह देखना पड़ा था।

वहीं सीमावर्ती क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की बात करें तो २०१४ से इसमें काफी वृध्दि देखी गयी है। पिछले कुछ वर्षों में भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में ४३ पुलों का निर्माण हुआ है , जिसमें १० पुलों का निर्माण जम्मू कश्मीर में हुआ है, वहीं १० पंजाब, २ हिमाचल प्रदेश, ८ उत्तराखंड और ७ लद्दाख में बनाये गए हैं। बता दें इन ४३ पुलों में २२ से अधिक ऐसे पुल हैं जिनका सीधा सम्बन्ध चीन की सीमा से है।

इसके अलावा १४ रणनैतिक राजमार्ग-सह -हवाई पट्टी पर निर्माण का कार्य चल रहा है।  वहीं तीन राजमार्ग-सह -हवाई पट्टी का निर्माण कार्य पूर्ण हो चूका है। भारत-चीन की सीमा पर सरफेसिंग की बात करें तो वर्ष २०१८-१७ सिर्फ १७० km/वर्ष हुआ था जबकि २०१७ से २०२० के बीच में ३८० किलोमीटर प्रति वर्ष हुआ है। इसके साथ ही भारत-चीन की सीमा पर २०१४ से २०२० के बीच ६ सुरंगों का निर्माण हुआ है, वहीं २००८ से २०१४ के बीच केवल १ सुरंग निर्माण कार्य हुआ था। वहीं १९ सुरंगों के निर्माण की योजना बना ली गयी है। सीमावर्ती क्षेत्र में पुलों के निर्माण का कार्य भी तेज़ी से बढ़ा है , रोड खराब होने की वजह से सैनिकों को खासे दिक्क़ते होती है जिस वजह से सड़क निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एक डाटा के मुताबिक वर्ष २००८ से २०१४ के बीच में केवल ३६१० किमी सड़क निर्णाम हो पाया था, वहीं २०१४ से २०२० के बीच में बढ़कर ४७६४ किमी हो गयी।

अगर हम इस आधार पर राहुल गाँधी के बयान को प्रमाणित करें तो उनमें राजनैतिक समझ की कमी नज़र आ रही है, उन्हें अभी अपने भीतर परिपवक्ता लाने की आवशयकता है।

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