लगता है कि कांग्रेस में युवा नेताओं का कोई भविष्य नहीं है। 16 दिसंबर, 2017 को राहुल गांधी जब कांग्रेस अध्यक्ष बने थे, तब लगा था कि पार्टी लंबे समय तक देश के युवा दिलों पर राज करेगी, लेकिन ये गुमान बहुत दिनों तक नहीं टिका। एक-एक कर कांग्रेस के सारे युवा किले ध्वस्त होते जा रहे हैं। आइए देखते हैं टॉस की ये ख़ास रिपोर्ट।
1. राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष पद से सचिन पायलट को अशोक गहलोत सरकार गिराने की साज़िश के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है।
2. मध्यप्रदेश में ज्यातिरादित्य सिंधिया का जोश भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के आगे ठंडा हो गया और आख़िरकार सिंधिया को बीजेपी का दामन थामना पड़ा।
3. उधर, यूपी में राहुल ब्रिगेड के एक और सिपहसालार जितिन प्रसाद भी बहुत बेचैन हैं। वे भी पार्टी लाइन से हटकर पेंतरा दिखा रहे हैं। यूपी में प्रियंका वाड्रा का रुतबा बढ़ने के बाद से ही जितिन हाशिये पर हैं।
4. एक और युवा, यूपी की रायबरेली सदर सीट से विधायक और राहुल ब्रिगेड की सदस्य अदिति सिंह भी बग़ावत की राह पर हैं। 2 अक्टूबर, 2019 को विधानसभा के विशेष सत्र में जाने पर कांग्रेस ने ही उनकी सदस्यता रद्द करने का असफल प्रयास किया।
5. हरियाणा में वरिष्ठ कांग्रेसियों से तंग आकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अशोक तंवर पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्हें राहुल गांधी का बेहद क़रीबी माना जाता था।
अशोक तंवर, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, हरियाणा
ज़ाहिर है कि अशोक तंवर को कांग्रेस छोड़ने का काफ़ी मलाल है। पार्टी में अगर बुज़ुर्ग बनाम युवा की जंग शुरू नहीं होती, तो कांग्रेस को आज ऐसे दिन नहीं देखने पड़ते। हरियाणा में अशोक तंवर अकेले ऐसे युवा नेता नहीं हैं, जिनके जोश की गर्मी पर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति ने ठंडा पानी डाला हो।
- हरियाणा में ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी कांग्रेस की यंग ब्रिगेड में थे, लेकिन आजकल अलग-थलग पड़े हैं।
- हरियाणा के एक और दिग्गज कांग्रेस नेता भजन लाल के बेटे कुलदीप विश्नोई की कांग्रेस से नाराज़गी किसी से छिपी नहीं है।
- आठवां चेहरा महाराष्ट्र से है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने वाले मिलिंद देवड़ा भी वरिष्ठ नेताओं से उकताए हुए बताए जा रहे हैं। वे दिग्गज कांग्रेसी मुरली देवड़ा के सुपुत्र हैं।
- राहुल गांधी को सोशल मीडिया पर चमकाने वाली कर्नाटक की दिव्या स्पंदना राम्या के सितारे भी उनके अध्यक्ष पद से हटते ही गर्दिश में चले गए। कन्नड़ अभिनेत्री राम्या लोकसभा सांसद रही हैं।
टॉस का मानना है कि इस लिस्ट में टॉप टेन चेहरा ख़ुद राहुल गांधी का है। 2004 में उनका मुख्य धारा की सक्रिय राजनीति में पदार्पण हुआ। इस लिहाज़ से उनके राजनैतिक जीवन की उम्र 2020 में 16 साल है। इस दौरान वे 16 दिसंबर, 2017 से लेकर 3 अगस्त, 2019 तक यानी एक साल, सात महीने और 17 दिन तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी कुछ ख़ास नहीं कर पाई। उन्होंने ये कहकर अध्यक्ष पद छोड़ा कि गांधी परिवार से अलग किसी नेता को कांग्रेस की कमान सौंपी जानी चाहिए, लेकिन कोई आगे नहीं आया, तो उनकी मां सोनिया गांधी को ही फिर से पार्टी संभालनी पड़ी।
बहुत बड़ी सच्चाई ये भी है कि न केवल कांग्रेस, बल्कि उसके क़रीब-क़रीब सभी आनुशंगिक संगठन बेजान पड़े हैं। एनएसयूआई से जुड़े युवा छात्र-छात्राएं हालांकि विश्वविद्यालयों के चुनावों में जोश दिखाते हैं, लेकिन उनका राजनैतिक भविष्य क्या होगा, जबकि मूल पार्टी में शक्ति के शिखरों तक पहुंचे बहुत से युवा नेताओं के हौसले आज पस्त दिखाई दे रहे हैं। यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस, किसान कांग्रेस इत्यादि का नाम सुर्ख़ियों में आता ही नहीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से क़रीब एक साल पहले स्थापित होने वाला कांग्रेस सेवा दल पूरी तरह बिखर चुका है, जबकि आरएसएस इस समय दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बनकर उभर चुका है।
आपको ये भी बता दें कि सेवा दल बनाने वाले एन एस हार्डीकर और आरएसएस के संस्थापक डॉ. बलिराम हेडगेवार जी मित्र थे। दोनों ही कांग्रेस में सक्रिय थे। लेकिन डॉ. हेडगेवार को कांग्रेस का चरित्र बहुत पहले ही समझ में आ गया और 1925 में ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर अपनी अलग राह चुन ली थी। कांग्रेस का भविष्य अभी कितना और धूल-धूसरित होगा, इसका अनुमान फिलहाल तो नहीं लगाया जा सकता।
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