कोरोना से ऐसे कैसे कर सकते हैं लड़ाई?

पूरे देश में कोरोना मरीज़ों के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की कमी, ऑक्सीज़न की कमी और वेंटीलेटरों की कमी की ख़बरें लगातार आ रही हैं। कोरोना से मरने के बाद श्मशान घाटों में मुर्दों को जगह मिलने में मुश्किल हो रही है। घर से अस्पताल जाने, एक अस्पताल से दूसरी जगह जाने और मर जाने की सूरत में श्मशान तक जाने के लिए एंबुलेंस वाले लोगों से हज़ारों रुपये वसूल रहे हैं, अनगिनत लोग तड़प रहे हैं, लेकिन बहुत से लोग ज़रूरी दवाओं और उपकरणों की कालाबाज़ारी में लगे हैं। ये रोज़मर्रा की ख़बरें हैं। इंसानियत आख़िर कहां है?

– दिल्ली सरकार ने बार-बार मोदी सरकार पर ऑक्सीज़न की सप्लाई के लिए दबाव बनाया
– लेकिन दिल्ली के मंत्री इमरान हुसैन ने जमा कर रखे थे 637 ऑक्सीज़न सिलैंडर
– दिल्ली सरकार के पास साधन नहीं, तो मंत्री के पास कहां से आए ऑक्सीज़न सिलैंडर?

जानिये –

– दिल्ली के पॉश इलाक़ों में कई बेशक़ीमती रेस्तरां का मालिक अरबपति नवनीत कालरा!
– ऑक्सीज़न कंसंट्रेटर की कालाबाज़ारी में लगा था नवनीत कालरा, एक उपकरण पर 50 हज़ार रुपये तक की मुनाफ़ाख़ोरी

 

– बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी पर एंबुलेंस के ग़लत इस्तेमाल को लेकर लगे आरोप
– बिहार के सारण में रूडी की सांसद निधि से ख़रीदी गई एंबुलेंस बेकार खड़ी होने का आरोप पप्पू यादव ने लगाया
– रूडी का बेतुका जवाब- ड्राइवरों की कमी की वजह से खड़ी हैं एंबुलेंस, पप्पू यादव ने ड्राइवर देने की बात कही

कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद बने हालात में ऐसा लग रहा है कि देश में कोई व्यवस्था काम नहीं कर रही है। तमाम तरह के भ्रष्टाचार की ख़बरें लगातार मिल रही हैं। कोरोना से दम तोड़ रहे बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकती है, बशर्ते व्यवस्था बनाई जाए। साफ़ है कि सरकारें हैं, नियम-क़ायदे हैं, लेकिन गवर्नेंस पर्याप्त नहीं हैं। ऐसा भी नहीं है कि पूरा का पूरा माहौल नकारात्मक है। बहुत से लोग अपनी जान की परवाह न करते हुए पीड़ितों की मदद में लगे हैं। बहुत सी सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं कोविड पीड़ितों को हरसंभव मदद देने में जुटे हैं, लेकिन हालात पर काबू कब तक पाया जाएगा, यह कहना मुश्किल है।

– कोरोना की तीसरी लहर की भविष्यवाणी कर दी गई है
– लेकिन अभी तक टीकाकरण की गति सामान्य नहीं हुई है
– ग़ैर-बीजेपी राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार पर निशाना साधने में ही लगी हुई हैं

 

ऐसे हालात में क्या हम इंसानियत की रक्षा कर पाएंगे?

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