चीन के साथ भारत की तनातनी जारी है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या साल 2020 के त्यौहारी सीज़न में चीन के सामान बिल्कुल नज़र नहीं आएंगे। चीन में बने पटाखे, बिजली की झालरें और सजावट के दूसरे सामानों के अलावा लक्ष्मी-गणेश की चमकदार प्रतिमाओं की बिक्री पिछले साल तक ख़ूब होती रही है। लेकिन इस बार शायद ऐसा नहीं होगा।
दशहरा और दीवाली पर हर साल पूरा भारत जगमगाता है। जमकर आतिशबाज़ी होती है। इस बार भी ऐसा ही होगा, लेकिन फ़र्क़ ये होगा कि इस बार चीनी कंपनियों की चांदी नहीं होने दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मंत्र और स्वदेशी के आग्रह ने देश के खुदरा बाज़ार की सोच भी बदली है।
तो इस बार दीवाली पर चीन को 40 हज़ार करोड़ रुपये का झटका लगने वाला है। चीन के साथ सीमा विवाद की वजह से भारतीय नागरिक भी इस बार चीन के सामानों के बहिष्कार के मूड में हैं। लेकिन क्या इससे भारतीय त्यौहारी बाज़ार को उतना ही फ़ायदा भी होगा, ये सोचने वाली बात है। कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खुदरा कारोबार की दिक्कतें ख़त्म करने की गुहार लगाई है।
कैट का कहना है कि कोरोना काल में मदद के लिए केंद्र सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है, उसमें खुदरा कारोबारियों के लिए कोई राहत नहीं दी गई है। कैट चाहता है कि व्यापार के लिए ज़रूरी 28 लाइसेंस ख़त्म कर एक ही लाइसेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए।
दीवाली पर अगर भारतीय पटाखे ही चलें, अपने दिये, मोमबत्तियां, झालरें जगगम करें, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई रौशनी आ सकती है। चीन को जवाब देना तो ज़रूरी है ही, आत्मनिर्भर होने का स्वाभिमान जगना भी ज़रूरी है। आइए इस दीवाली पर संकल्प लें कि वसुधैव कुटुंबकम् की सोच वाले हम भारतीय इंसानी सभ्यता के भव्य-दिव्य मुकुट बनकर अखंड ज्योति के रूप में झिलमिलाएंगे।
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