25 जून, 1975! आधी रात का समय! इंदिरा गांधी ने लगा दी EMERGENCY!
26 जून को आकाशवाणी, दिल्ली के इसी स्टूडियो से हुआ आपातकाल का ऐलान!
और हम जानते हैं कि अब यही कहा जाता है कि 1975 की इमरजेंसी भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे काला दौर था। मीडिया पर पाबंदी, नेता-कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूंसा जाना, जबरन नसबंदी और न जाने क्या-क्या ज़ुल्म इंदिरा विरोधियों पर ढाए गए। जो उस दौर के गवाह नहीं रहे हैं, वे इमरजेंसी के काले दिनों को किताबों में तलाश सकते हैं। इमरजेंसी के पक्ष में खुलकर लिखने की हिम्मत संभवत: किसी की नहीं हुई है, लेकिन आज 60 या इससे ज्यादा उम्र के बुज़ुर्गों से आप पूछेंगे, तो वे बता सकते हैं कि-
- इमरजेंसी में रेलगाड़ियां समय की बहुत पाबंद रहती थीं, एक मिनट भी इधर-उधर नहीं।
- सरकारी अफ़सर और कर्मचारी टिप-टॉप होकर वक़्त पर दफ़्तर पहुंच जाते थे।
- लड़कियों से छेड़छाड़ करने वाले गुंडे-मवाली अचानक कहीं ग़ायब हो गए थे।
- पुलिस की सख़्ती की वजह से जघन्य अपराध के मामलों में कमी आई थी।
- तस्करी, जमाख़ोरी और जानलेवा मिलावट करने वाले लोग थर-थर कांपने लगे थे।
टॉस इमरजेंसी के दौर का कतई समर्थन नहीं करता, लेकिन भारतीय समाज से पूछना चाहता कि-
- क्या अच्छी व्यवस्था क़ायम करने के लिए इमरजेंसी जैसा हंटर ही ज़रूरी होता है?
- आज़ादी का अर्थ क्या अराजक होकर कुछ भी करना है?
इमरजेंसी थोपे जाने वाली तारीख़ पर उस काले दौर की भर्त्सना ज़रूर करें, लेकिन ख़ुद से भी ये सवाल पूछें कि इमरजेंसी हटने के इतने साल बाद समाज के प्रति व्यवहार को लेकर हमारे रवैये में कितना सकारात्मक अंतर आया है? तथ्य ये है कि 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध की वजह से देश में इमरजेंसी का माहौल बना था, लेकिन 1975 में इमरजेंसी जैसा अभूतपूर्व संकट देश पर किसी एक व्यक्ति की वजह से थोपा गया था। चलते-चलते इमरजेंसी में क्या अच्छा हुआ, इस सवाल का एक सबसे गंभीर जवाब भी जानते चलें-
- भारतीय सेना इमरजेंसी में पूरी तरह तटस्थ रही। इमरजेंसी लागू करने में सेना ने सरकार की कोई मदद नहीं की।
- भारत में अब शायद ही कभी वैसी इमरजेंसी लगे, जैसी इंदिरा गांधी ने 1975 में लगाई थी। तब लोग इतने चिढ़ गए थे कि
1977 के आम चुनाव में कांग्रेस ने जीती 154 सीटें, वोट प्रतिशत था 35 से कुछ कम। - 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने जीती हैं 52 सीटें, वोट प्रतिशत है 19.51 ।
आज की बात करें, तो 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटों पर जीत के साथ 19.51 प्रतिशत वोट मिले हैं।
साफ़ है कि इमरजेंसी जैसे काले दौर के बावजूद तब कांग्रेस की लोकप्रियता आज के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा थी। साफ़ है कि देश ने इंदिरा गांधी को सिरे से नहीं नकारा था। लेकिन आज कांग्रेस के हालात बहुत अलग हैं। कांग्रेस को इस पर चिंतन की सख़्त ज़रूरत है…
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