हारकर जितने वाले को इरफ़ान खान कहते हैं : RIP Irfan Khan, Death, Full Biography in Hindi

 

साल २०२० कहीं से भी अच्छा नहीं रहा, कोरोना की मार के बीच कई दिग्गज हमे छोड़कर गए । बॉलीवुड में सबसे बिंदास अभिनेता के तौर पर पहचाने जाने वाले इरफान ने बुधवार सुबह अंतिम सांस ली। इरफान वह अभिनेता थे, जो यारों के यार माने जा सकते थे। उन्होंने संघर्ष देखा, लेकिन कभी दोस्तों की मदद से पीछे नहीं हटे। नजर डालते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्सों पर:-

पिता के निधन पर टूटे सौरभ शुक्ला को इरफान ने दिया था सहारा

अभिनेता सौरभ शुक्ला ने एक इंटरव्यू में इरफान खान से जुड़ा एक रोचक किस्सा सुनाया था। एनएसडी में इरफान के जूनियर रहे सौरभ के मुताबिक, यह तब की बात है, जब मोबाइल फोन भारत में आया ही था और उनके दोस्तों के पूरे ग्रुप में इरफान के पास ही इकलौता फोन था। सौरभ कहते हैं, “सभी मैसेज उनके मोबाइल पर आते थे। लेकिन वे इससे कभी इरिटेट नहीं हुए। मुझे याद है वो दिन, जब वे मेरे घर से आया एक मैसेज लेकर आए कि मेरे पिताजी नहीं रहे। सुनने के बाद मैं टूट गया। लेकिन उन्होंने मुझे मजबूती से पकड़ा और परिवार की खातिर हिम्मत बनाए रखने के लिए कहा। उन दिनों हमारे पास पैसा भी बमुश्किल हुआ करता था। लेकिन इरफान एयरपोर्ट गए और मुझे हवाई टिकट खरीदकर दिया।”

अमेरिकी सीरीज ‘इ ट्रीटमेंट’ के हर सीन से पहले रोते थे इरफान

इरफान खान ने 2008-2010 के बीच अमेरिकी टीवी सीरीज ‘इन ट्रीटमेंट’ में काम किया था। झुम्पा लाहिड़ी की कहानी पर आधारित इस सीरियल में ब्रुकलिन में एक बंगाली विधुर की थैरेपी को दिखाया गया था। इसके हर सीन से पहले इरफान रोते थे। उन्हें पेज भर-भरकर डायलॉग याद करने की जरूरत होती थी। फिर एक वक्त पर उन्होंने ड्रामा करना छोड़ दिया। यदि एक अभिनेता दो लाइन भी भूल जाता है तो उसे अगले विकल्प के तौर पर 15 मिनट का टेक दिया जाता था। निराश इरफान ने मदद के लिए न्यूयॉर्क में मौजूद अपने दोस्त नसीरुद्दीन शाह को फोन लगाया और जवाब मिला सफलता का सबसे आसान सूत्र यही है कि लाइनों को अच्छे से याद कर लिया जाए।”

पहली फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले ही टूट गया था सपना

इरफान खान की डेब्यू फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ थी। फिल्म की निर्देशक मीरा नायर ने इरफान को कॉलेज की एक वर्कशॉप में देखा था। मीरा ने उन्हें मुंबई में वर्कशॉप अटेंड करने का ऑफर दिया। इरफान की खुशी का ठिकाना नहीं था। 20 साल के इरफान मुंबई पहुंचे और रघुवीर यादव के साथ एक फ्लैट में रहने लगे, जो मीरा आने किराए पर लिया था। फिल्म की कहानी मुंबई के स्ट्रीट किड्स पर बेस्ड थी और इरफान को कुछ रियल स्ट्रीट किड्स के साथ ही वर्कशॉप में शामिल किया गया था। क्योंकि उन्हें फिल्म में एक स्ट्रीट किड सलीम का ही रोल दिया गया था। हालांकि, शूटिंग शुरू होने से दो दिन पहले मीरा ने इरफान का रोल काट दिया और उन्हें एक लेटर राइटर का किरदार दे दिया, जो कि प्रैक्टिकली कुछ भी नहीं था। तब इरफान अपने दोस्तों रघुवीर यादव और सूनी तारापोरवाला के कंधे पर सिर रखकर खूब रोए थे। इरफान ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मुझे याद है कि जब मीरा ने मुझे रोल कट करने के बारे में बताया तो मैं पूरी रात रोया था।”

जब 6 महीने अमेरिका में बिताने के लिए मिले सिर्फ 10 लाख रुपए

‘सलाम बॉम्बे’ में रोल काटने के बाद मीरा ने उनसे वादा किया था कि वे उन्हें किसी अन्य फिल्म में लीड रोल देंगी। लेकिन इसे पूरा करने में उन्होंने 18 साल का वक्त लगाया। मीरा ने ‘द नेमसेक’ में उन्हें लीड रोल दिया, जो 2006 में रिलीज हुई। हालांकि, उस समय तक उनका संघर्ष ख़त्म नहीं हुआ था। जब वे फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तब मीरा नायर ने उन्हें अमेरिका में 6 महीने बिताने के लिए महज 10 लाख रुपए दिए थे।

एनएसडी के अपने जूनियर मानव कॉल को दिलाया था काम

‘तुम्हारी सुलू’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके मानव कॉल एनएसडी में इरफान के जूनियर थे। संघर्ष के दिनों में इरफान ने उन्हें काम दिलाया था। इस बात का खुलासा खुद मानव ने एक बातचीत में किया था। उन्होंने कहा था, “जब मैं उनसे पहली बार मिला तो वे अपनी मारुति 800 ड्राइव करते हुए अपने टीवी सीरियल ‘बनेगी अपनी बात’ की शूटिंग के लिए जा रहे थे। मेरा स्ट्रगल देखा तो उन्होंने शो में मुझे भी काम दिला दिया। हालांकि, मैंने तीन ही एपिसोड शूट किए थे, जो अगले 6 महीनों में दिखाई दिए थे।”

कभी बॉलीवुड नहीं छोड़ना चाहते थे इरफान

इरफान खान उन अभिनेताओं में से एक थे, जिन्हें बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी बराबर सफलता मिली। एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कभी हॉलीवुड शिफ्ट हो सकते हैं? तो उन्होंने कहा था, “मैं अपने बेस के रूप में कभी बॉलीवुड को नहीं छोडूंगा। मुझे नहीं पता कि भविष्य ने मेरे लिए क्या संजोकर रखा है। लेकिन हॉलीवुड को अपना बेस बनाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। इसका एकमात्र कारण यह है कि वहां मैं अपने दिल की सुनकर फिल्में नहीं कर पाऊंगा। मुझे वहां सभी तरह की फिल्में करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

 

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