दुनिया के बहुत से जगहों पर हो रही हिंसा के कारण बहुत से लोगों को पलायन करना पड़ रहा है।दुनिया भर के देश के सामने शरणार्थी की समस्या बहुत बड़ी चुनौती है। वहीं बहुत से यूरोपियन देश शरणार्थियों को अपने देश में जगह देने को तैयार हो गया लेकिन ये उदारता उन्हीं राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए शूल बन गया। शरण देने वाले ज्यादातर देशों के सामने आतंकवाद की समस्या आ गयी है।
सवाल ये उठता है कि क्या ये देश आने वाले समय में अपने यहां शरणाथियों को जगह देगा ? ये प्रश्न बहुत संवेदनशील है पर इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
आकड़ों के मुताबिक वर्ष २०१९ में दुनिया भर में शरण पाने के लिए विभिन्न देशों को ७.९५ करोड़ आवेदन मिले। वहीं २०१९ में ६. १३ लाख विदेशी लोगों को विभिन्न यूरोपियन देशों में शरण दी गयी। लेकिन देशों को अपने अच्छे कर्मों का बुरा परिणाम आतंकवाद की समस्या के रूप में मिला। फ्रांस, ऑस्ट्रिया और स्पेन सहित यूरोप के कई देशों आतंकी वारदात की घटना हुई है। यूरोप की पुलिस तंत्र यूरो पोल के अनुसार आतंकी हमलों के तार मुस्लिम शरणार्थियों से सीधे सीधे जुड़े है। आपको बता दें विएना में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने ली है।
वहीं यूरो पोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में कट्टरपंथियों का ऐसा पनप रहा है जिसे अपने धर्म के नाम पर हिंसा करने से गुरेज नहीं है। आपको बता दें कि यूरोप में २०१२ से २०१७ के बीच भी ताबड़तोड़ आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया है।
वहीं वर्ष २०२० की बात करें तो १६ लोगों की जान आतंकी हमलों हुई है, यूरोप के कुल १३ देशों में पिछले वर्षों में ११९ आतंकी हमलों के प्रयास किये गए , जिनमे से ज्यादातर नाकाम कर दिए गए। बता दें सबसे ज्यादा इस्लामिक स्टेट के समर्थक ब्रिटैन, फ्रांस, इटली, बेल्जियम और स्पेन में पकडे गए हैं। यूरोप में अभी तक १००४ IS समर्थक आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इन सभी घटना से हिंसा झेल रहे पलायन करने को मज़बूर लोगों , जिनका किसी भी आतंकी से संबंध नहीं है, को सबसे अधिक समस्या हो रही है। वे इस धार्मिक उन्माद के शिकार हो रहे हैं।
यूरोपियन यूनियन के काउंटर टेरर के कोर्डिनेटर कहते हैं कि जिहादी संगठनों के खिलाफ सदस्य देशों ने कमर कस ली है इसी वजह से आतंकी बौखलाए हुए है। बहुत से जिहादी संगठों के तार शरणार्थियों से जुड़े हुए हैं। अगर यही शिलशिला चलता रहा तो शरणार्थियों को जगह मिल पाना मुश्किल हो जाएगा।
बता दें ज्यादातर यूरोपीय देश कश्मीर के आतंकी मसलों पर मावनाधिकार का राग अलापते दिखते हैं लेकिन जब खुद के साथ समस्या हुई तो कड़ा रुख अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में कम्युनिस्ट कॉकस से प्रभावित प्रधानमंत्री ने मुस्लिमों के प्रति संवेदना दिखाते हुए नज़र आयी।
Leave a Reply